पंद्रहवीं शताब्दी के अन्त तक यूरोप में एक नयी सामाजिक व्यवस्था का जन्म हुआ, जिसे ‘पूँजीवाद’ (Capitalism) कहते हैं। #worldhistory #capitalism
इस पोस्ट में राजनीति विज्ञान और अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण टॉपिक पूंजीवाद किसे कहते हैं? ‘What is capitalism?’ के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी गई है।
भू-भागों की खोज का एक परिणाम यह हुआ कि यूरोप के देशों का इन नए देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित हुआ । इन व्यापारिक संबंधों से यूरोप के व्यापारियों ने बहुत लाभ कमाया। लाभ होने के कारण धीरे-धीरे इनके पास पूँजी जमा होने लगी । इस पूँजी को उन्होंने पुनः व्यापार में लगाया। इस प्रकार पंद्रहवीं शताब्दी के अन्त तक यूरोप में एक नयी सामाजिक व्यवस्था का जन्म हुआ, जिसे ‘पूँजीवाद’ (Capitalism) कहते हैं।
इस नयी सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषता थी- पूँजीपतियों और श्रमिकों के दो नये वर्गों का उदय । पूँजीपति व्यापार के लिए तैयार होनेवाली वस्तुओं के मालिक थे और उनका मुख्य उद्देश्य था मुनाफा कमाना । श्रमिक लोग वस्तुओं का उत्पादन करते थे और पूंजीपतियों से वेतन प्राप्त करते थे। पूँजीवाद के विकास के साथ-साथ उत्पादन के तरीकों में भी परिवर्तन होने लगा। आप जानते होंगे कि मध्यकाल में कपड़े जुलाहे अपने हाथों से बनाते थे। आधुनिक युग में कपड़े जुलाहे के अतिरिक्त मशीनों से भी तैयार किये जाने लगे। मशीनीकरण की यह प्रक्रिया इंग्लैड में अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में शुरू हुई और फिर धीरे-धीरे अन्य देशों में भी फैली, जिसे औद्योगिक क्रान्ति का नाम दियागया।